गरीब मजदूर और जादुई पत्थर – एक प्रेरक हिंदी कहानी
राजेश नाम का एक व्यक्ति जो बहुत गरीब था। वह मजदूरी करके अपने और अपने परिवार का पालन पोषण करता था। राजेश की पत्नी का नाम रेखा था, और इन दोनों के चार बच्चे थे। राजेश बहुत मुश्किलों से खाने का व्यवस्था करता था, क्योंकि राजेश को कभी-कभी काम नहीं मिलता था। जिस कारण से उसके परिवार को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
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गरीब मजदूर और जादुई पत्थर – एक प्रेरक हिंदी कहानी |
एक दिन ऐसा भी आया जब राजेश को 10 दिनों तक कहीं काम नहीं मिला, और घर का अनाज भी समाप्त हो गया था। राजेश की पत्नी बोलती है, "घर में अनाज समाप्त हो गया है। बच्चे क्या खाएंगे?"
राजेश अपनी पत्नी को बोलता है, "तुम चिंता मत करो, मैं अनाज लेकर आता हूं।"
राजेश बाजार जाता है और एक दुकानदार से अनाज उधार मांगता है। दुकानदार उधार देने से मना कर देता है। राजेश बोलता है, "अभी मेरे पास पैसे नहीं हैं, लेकिन मैं आपको पैसे जल्द दे दूंगा। मेरे बच्चे भूखे हैं, मुझे कुछ अनाज उधार दे दीजिए। आपकी बड़ी मेहरबानी होगी।"
दुकानदार बोलता है, "मैं तुम्हें उधार अनाज नहीं दूंगा। तुम यहां से चले जाओ वरना धक्के मार के भगा दूंगा।"
राजेश उदास होकर वहां से चला जाता है और एक जगह पर बैठ कर रोने लगता है, और अपने आप से बातें करता है, "आज मेरे बच्चे और पत्नी भूखे ही रह जाएंगे। मेरे पास ना कोई काम है और ना ही पैसे हैं। मैं खाली हाथ अपने घर कैसे जाऊं? जब मेरी पत्नी पूछेगी 'आप क्या लेकर आए?' तो मैं क्या जवाब दूंगा?"
तभी वहां पर एक छोटा सा पत्थर बोलता है, "तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हारी सारी परेशानियां दूर कर दूंगा।"
राजेश आवाज सुनकर चौंक जाता है और वह अपने आसपास देखता है, लेकिन राजेश को कोई आदमी नहीं दिखता है। राजेश सोच में पड़ जाता है। पत्थर बोलता है, "तुम क्या सोच रहे हो?"
राजेश बोलता है, "तुम कौन हो और मुझे क्यों नहीं दिख रहे हो?"
पत्थर बोलता है, "तुम किसे खोज रहे हो? मैं तो तुम्हारे सामने हूं।"
राजेश बोलता है, "अगर तुम मेरे सामने हो तो तुम मुझे क्यों नहीं दिख रहे हो?"
पत्थर बोलता है, "मैं कोई इंसान नहीं हूं। मैं तो एक छोटा सा पत्थर हूं।"
राजेश का ध्यान पत्थर पर जाता है। राजेश पत्थर से पूछता है, "तुम कैसे बोल सकते हो?"
तभी पत्थर बोलता है, "मैं कोई साधारण पत्थर नहीं हूं। मैं एक जादुई पत्थर हूं।"
राजेश जादुई पत्थर से पूछता है, "तुम मेरी मदद कैसे कर सकते हो?"
जादुई पत्थर बोलता है, "तुम मुझे अपने घर लेकर चलो, और तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत हो तो तुम मुझसे मांगो। मैं वह चीज तुम्हें दे दूंगा। अगर किसी ने भी मुझसे कोई वस्तु लालच के उद्देश्य से मांगी, तो मेरी जादुई शक्ति समाप्त हो जाएगी और वह इंसान भी पत्थर बन जाएगा।"
राजेश जादुई पत्थर को अपने साथ लेकर अपने घर जाता है। राजेश की पत्नी पूछती है, "क्या आपने अनाज लेकर आया?"
राजेश बोलता है, "मैं तो अनाज लेकर नहीं आया हूं, लेकिन एक जादुई पत्थर लेकर आया हूं, जो हमें अनाज देगा।"
राजेश की पत्नी बोलती है, "यह पत्थर हमें कैसे अनाज देगा?"
राजेश बोलता है, "तुम देखते जाओ।"
राजेश जादुई पत्थर को एक स्थान पर रख देता है और बोलता है, "जादुई पत्थर, हमें चावल चाहिए।"
तभी कुछ देर बाद में जादुई पत्थर के सामने चावल आ जाता है। राजेश की पत्नी यह सब देखकर चकित हो जाती है।
राजेश को कभी भी किसी चीज की जरूरत होती तो वह जादुई पत्थर से मांगता था। राजेश की जिंदगी पहले से अच्छी हो गई थी। आसपास के लोग सोच रहे थे, आखिर राजेश अब इतना अच्छा से कैसे रह रहा है। पहले तो इसका हालत बहुत खराब था।
महेश नाम के एक व्यक्ति ने पता लगाने की कोशिश करने लगा, आखिर राजेश इतना खुश कैसे रहता है। महेश राजेश पर नजर रखने लगा।
तभी एक रात में राजेश ने जादुई पत्थर से कुछ कपड़े मांगे और कुछ देर में वहां पर कपड़े आ गए।
महेश यह सब देखकर हैरान हो जाता है और वह समझ जाता है, यह पत्थर कोई साधारण पत्थर नहीं है, यह एक जादुई पत्थर है।
महेश अपने घर जाकर प्लानिंग बनाता है, "मैं वह जादुई पत्थर राजेश के घर से चोरी कर लूंगा।"
अगले रात में जब राजेश और उसकी पत्नी सो जाती है, तब महेश चोरी-चुपके राजेश के घर के अंदर घुस जाता है और महेश जादुई पत्थर चुरा लेता है और वहां पर जादुई पत्थर जैसा नकली पत्थर रख देता है और महेश वहां से निकल जाता है।
महेश अपने घर जाता है। महेश सोचता है, "हमें पहले जादुई पत्थर छुपा देना चाहिए, बाद में इस जादुई पत्थर से सोने के सिक्के मांगूंगा।"
महेश जादुई पत्थर को छुपा कर सो जाता है और अगले सुबह महेश राजेश का घर जाता है यह देखने कि राजेश का घर का माहौल कैसा है।
महेश जब राजेश के घर आया तो देखा वहां का माहौल सब ठीक है। राजेश ने महेश को देखा तो उसे अपने घर के अंदर बुलाया और काफी देर तक दोनों ने बातें कीं। महेश बोलता है, "ठीक है राजेश भाई, मैं चलता हूं, फिर कभी आऊंगा।"
महेश वहां से सीधे अपने घर आता है और महेश काफी खुश था क्योंकि राजेश को कुछ भी नहीं मालूम था कि उसका जादुई पत्थर चोरी हो गया है।
महेश सोचता है, "चलो, जादुई पत्थर से सोने के सिक्के मांगते हैं।"
फिर महेश ने सोचा, "अभी ठीक नहीं रहेगा, रात में जादुई पत्थर से सोने के सिक्के मांग लूंगा।"
जब रात होने वाली थी, उससे पहले राजेश को कुछ पैसे की जरूरत पड़ गई। तब राजेश ने जादुई पत्थर निकाला और उस जादुई पत्थर से कुछ पैसे मांगा।
राजेश ने जब पहली बार में जादुई पत्थर से पैसे मांगा तो उस पत्थर ने पैसे नहीं दिए, क्योंकि वह पत्थर नकली था।
राजेश ने दूसरी बार उस पत्थर से पैसे मांगा, लेकिन दूसरी बार में भी वहां पर पैसे नहीं आया। तब राजेश चुप हो जाता है।
तब राजेश की पत्नी बोलती है, "एक बार बोलिए, तब जाकर पैसे मिलेगा।"
राजेश अपनी पत्नी को बोलता है, "अगर मैंने तीसरी बार बोला तो इस जादुई पत्थर की शक्ति समाप्त हो जाएगी और मैं भी पत्थर बन जाऊंगा, क्योंकि मुझे जादुई पत्थर ने बोला था, अगर तुम्हें किसी चीज की जरूरत हो तभी मांगना। अगर किसी ने भी लालच के उद्देश्य से मांगा तो मेरी शक्ति समाप्त हो जाएगी और वह इंसान भी पत्थर बन जाएगा। मुझे लगता है, मैंने जो पैसे इस जादुई पत्थर से मांग रहे हैं, इसे लग रहा है मैं लालच के उद्देश्य से मांग रहा हूं, इसलिए यह जादुई पत्थर मुझे पैसे नहीं दे रहा है।"
राजेश जादुई पत्थर को उठाकर रख देता है।
इधर महेश जादुई पत्थर को निकालता है और जादुई पत्थर से सोने के सिक्के मांगता है।
जब एक बार बोलने के बाद जादुई पत्थर सोने के सिक्के नहीं देता है, तब महेश दूसरी बार जादुई पत्थर से सोने के सिक्के मांगता है, लेकिन इस बार भी जादुई पत्थर सोने के सिक्के नहीं देता है।
महेश गुस्सा हो जाता है और वह गुस्से से तीसरी बार जादुई पत्थर से सोने के सिक्के मांगता है।
जब महेश तीसरी बार बोलता है, तभी जादुई पत्थर की शक्ति समाप्त हो जाती है और महेश भी कुछ देर के बाद पत्थर बन जाता है।
जब सुबह होती है, तब राजेश को पता चलता है, महेश उसका जादुई पत्थर चुरा लिया था और वह अब पत्थर बन गया है।
सीख: लालच का अंजाम हमेशा बुरा होता है। संतोष ही सच्चा सुख है।